मैं तेरे नाम हो जाऊँ तू मेरे नाम हो जाए

मैं तेरे नाम हो जाऊँ तू मेरे नाम हो जाए
मैं तेरा दाम हो जाऊँ तू मेरा दाम हो जाए
न राधा सा न मीरा सा विरह मंज़ूर है हमको
बनूँ मैं रुक्मिणी तेरी तू मेरा श्याम हो जाए

जहां पर सच दया सम्मान और ईमान रहता है
वहीं जाकर वो अल्लाह और वो भगवान रहता है
अगर तूने निकाला है किसी के पाँव का काँटा
तो ये तय है तेरे दिल में कोई इंसान रहता है

जो भूमि देवताओं की परम पावन विरासत है
जहाँ सत्यम शिवम् और सुंदरम् हर क्षण महूरत है
धरम सत्कर्म संस्कृति सभ्यता कर्तव्य का मंदिर
हमें है गर्व जिस पर वो हमारा देश भारत है

नीति नियम और नैतिकता का मर्म सियासत में होता
राम सरीखा राजा हो तो धर्म सियासत में होता

वहीं क्रूरता जग जाती है वहीं पे करुणा सोती है।
वहीं उगाती दंभ भावना वहीं नम्रता बोती है।
अब ये हम पर है कि हमको किस पर शासन करना है
एक अयोध्या और इक लंका सबके मन में होती है।।

मन की सारी संचित शक्ति भावों में भर सकता था।
भक्ति में वह शीश काट कर चरणों में धर सकता था।
अद्भुत अमर समर्पण अंबर जिसका सानी कोई नही,
रावण जैसी भक्ति केवल रावण ही कर सकता था।।

दिल में जगह नहीं थी बिल्कुल हर धड़कन पर लिक्खे थे।
मन के कोरे कागज पर बस दो ही अक्षर लिक्खे थे।
रावण से कैसे उठ जाता महाकाल का धुनुष भला
अगर सिया के भाग्य में अंबर केवल रघुवर लिक्खे थे।

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