Poems

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तराना एकता वाला हमें मिलजुल के गाना है

तराना एकता वाला हमें मिलजुल के गाना हैइबादत को भजन के साथ मिलकर ही निभाना हैनहीं टकरा के एक दूजे से चकनाचूर हो जायेंचलो सब एक हो जाएँ वतन अपना सजाना है

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तिरंगा 2

तिरंगा 2 बनके लावा जो बहता रगों में, स्वाभिमान हमारा तिरंगाआन है मान है शान है ये,स्वाभिमान हमारा तिरंगामात्र एक पताका नही ये,है गगन का सितारा तिरंगा है मुहर एकता की तिरंगा, एक संकल्प है धीरता कामातु की वन्दना है तिरंगा ,सार गीता का कुरआन का है, गूंजता मंत्र है वीरता का शिव शिखाओं से

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अम्बर अपनी कठिन डगर को खुद आसान बनाते है

अम्बर अपनी कठिन डगर को खुद आसान बनाते हैमाथे की हर शिकन को होठों की मुस्कान बनाते है।हिम्मत,मुश्किल वक्त में हमको यही पाठ सिखलाती है।उपहासों को कैसे जीवन का वरदान बनाते हैं ।।

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कहाँ कहाँ तक जाती अम्बर आंखों की जद याद रहे।

कहाँ कहाँ तक जाती अम्बर आंखों की जद याद रहे।ख्वाब भले दुनियाँ के घूमे पर हमको हद याद रहे।सीढ़ी चढ़कर आसमान तक जाना बेहद मुश्किल है।तलब चाँद की रखने वालों को अपना कद याद रहे ।।।

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साथ हमारा जनम-जनम का रिश्तों का संसार।

साथ हमारा जनम-जनम का रिश्तों का संसार।फिर भी जग ने प्रीत को मेरी किया नहीं स्वीकार || प्रश्न मेरा क्यों राधा ही है मोहन का आधार ?हाँ! इस जग ने प्रीत को मेरी किया नहीं स्वीकार ||क्यों इस जग ने प्रीत को मेरी किया नहीं स्वीकार? वचन किये पूरे तुमने सब कसमें मन से मानीं

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पावन जोत जगे मन में, तम दूर करो भर-दो उजियारो ।

पावन जोत जगे मन में, तम दूर करो भर-दो उजियारो ।जीवन के सब सार लिखें, नित लेखन, पाठन और निखारो ||मान तजें, अभिमान तजें, तज औरन को यह दास निहारो ।साधक आज करे विनती, अब मात कृपा कर आन पधारो || ज्ञानेश्वरी विद्यामति ब्राह्मणी, इह विधि वन्दन भी स्वीकारो ।राग नहीं, न ही द्वेष करूँ

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ब्रह्म- जाया, विशालाक्षी, ब्राह्मी विद्यादेवी, वसुधायै नमः ।

ब्रह्म- जाया, विशालाक्षी, ब्राह्मी विद्यादेवी, वसुधायै नमः । त्रिकालज्ञा, त्रिगुणा, कान्ता, पद्मलोचना, सुरसायै नमः ॥चामुण्डा, वाराही, वन्दा, शास्त्र-रूपणी, वाग्देवी । त्रिगुणा, त्रयमूर्ति, सौदामिनी, सौम्या, तीव्रा, वैष्णवी ||महाबला सरस्वती, वर प्रदा सरस्वती –शिवानुजा सरस्वती, नील-भुजा सरस्वतीसुभद्रायै नमः ॥ वाणी दे, विद्या दे, स्वर दे, लय दे, ताल दे, गीत अमर ।वीणा, बंसी, झाँझ, मृदंग, मृदु, सात

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भरी झोली सदा मेरी

भरी झोली सदा मेरी, मिला सौगात से ज़्यादासुनहरे दिन से ज़्यादा और सुहानी रात से ज़्यादामेरे ईश्वर तेरा आभार बारम्बार करती हूँ,मुझे हरदम दिया तूने, मेरी औकात से ज़्यादा

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