My Poems

मैं तेरे नाम हो जाऊँ तू मेरे नाम हो जाए
मैं तेरे नाम हो जाऊँ तू मेरे नाम हो जाएमैं तेरा दाम हो जाऊँ तू मेरा दाम हो जाएन राधा सा न मीरा सा विरह

परम सत्ता से संचालित ये शासन मिट नही सकता
परम सत्ता से संचालित ये शासन मिट नही सकता,,अमरता दे मनुजता को को दर्शन मिट नही सकतान जाने मिट गए कितने मिटाने की लिए ख्वाहिशअमर

दिया गांधी ने जीवन भर जो,वो सन्देश पहले है।
दिया गांधी ने जीवन भर जो,वो सन्देश पहले है।यहाँ चैनों अमन वाला मधुर परिवेश पहले है।चलो सन्देश देते हैं ये मिलकर आज दुनियाँ कोहमारे स्वार्थ

अधर से आह जो फूटी उसे हम ओम कर देंगे।
अधर से आह जो फूटी उसे हम ओम कर देंगे।जमी के एक ज़र्रे को समूचा व्योम कर देंगे।।चढा कर अर्घ्य प्राणों का करेंगे अर्चना तेरीहवन

वार पीठ पर जो करता था वो हर ख़ंजर बदला है
वार पीठ पर जो करता था वो हर ख़ंजर बदला हैवक़्त का तेवर देख के यारों अपना तेवर बदला हैउम्मीदें भर ली मन में,कमज़ोरी को

एक छिड़कता जान तो दूजा दिल से उसे निभाता है
एक छिड़कता जान तो दूजा दिल से उसे निभाता हैसच्चाई से भी सच्चा ये भाई बहिन का नाता हैभोला भाला निश्छल अद्भुत बंधन है इस

राम खौं मिल गई राम की अटारीआई किसना की बारी
राम खौं मिल गई राम की अटारीआई किसना की बारी कर लो मथुरा की मिल कैं तैयारीअब कन्हैया की बारी गोविन्दा गोपाल कृष्ण मुरारीमुरली मनोहर

हम गंगा की धार बनेंगे तुम नाली हो जाओगे।
हम गंगा की धार बनेंगे तुम नाली हो जाओगे।हम गौरव से भरे मिलेंगे तुम खाली हो जाओगे।अपशब्दों से अपना परिचय देते रहना फिर इक दिन,हम

कहाँ है वक़्त जिसने शौर्य – साहस की कला दी थी
कहाँ है वक़्त जिसने शौर्य – साहस की कला दी थीशिला लंकेश के मद की निमिष भर में गला दी थीजहर कैसे घुला उस देश

सुख का मौसम उसी शख्स की सदा प्रतीक्षा करता है,
सुख का मौसम उसी शख्स की सदा प्रतीक्षा करता है,सफर की अपने जो भी इकदम सही समीक्षा करता है,चांद की चाहत लेकर जब हम अंबर

नही हम स्वार्थ पर फिसले ज़रा से खुरदुरे है हम।
नही हम स्वार्थ पर फिसले ज़रा से खुरदुरे है हम।वतन पर जां लुटा दें जो वही तो बाँकुरे हैं हम।जो देखेंगे वो लिक्खेंगे, न सच

तराना एकता वाला हमें मिलजुल के गाना है
तराना एकता वाला हमें मिलजुल के गाना हैइबादत को भजन के साथ मिलकर ही निभाना हैनहीं टकरा के एक दूजे से चकनाचूर हो जायेंचलो सब

तिरंगा 2
तिरंगा 2 बनके लावा जो बहता रगों में, स्वाभिमान हमारा तिरंगाआन है मान है शान है ये,स्वाभिमान हमारा तिरंगामात्र एक पताका नही ये,है गगन का

अम्बर अपनी कठिन डगर को खुद आसान बनाते है
अम्बर अपनी कठिन डगर को खुद आसान बनाते हैमाथे की हर शिकन को होठों की मुस्कान बनाते है।हिम्मत,मुश्किल वक्त में हमको यही पाठ सिखलाती है।उपहासों

कहाँ कहाँ तक जाती अम्बर आंखों की जद याद रहे।
कहाँ कहाँ तक जाती अम्बर आंखों की जद याद रहे।ख्वाब भले दुनियाँ के घूमे पर हमको हद याद रहे।सीढ़ी चढ़कर आसमान तक जाना बेहद मुश्किल

साथ हमारा जनम-जनम का रिश्तों का संसार।
साथ हमारा जनम-जनम का रिश्तों का संसार।फिर भी जग ने प्रीत को मेरी किया नहीं स्वीकार || प्रश्न मेरा क्यों राधा ही है मोहन का

पावन जोत जगे मन में, तम दूर करो भर-दो उजियारो ।
पावन जोत जगे मन में, तम दूर करो भर-दो उजियारो ।जीवन के सब सार लिखें, नित लेखन, पाठन और निखारो ||मान तजें, अभिमान तजें, तज

ब्रह्म- जाया, विशालाक्षी, ब्राह्मी विद्यादेवी, वसुधायै नमः ।
ब्रह्म- जाया, विशालाक्षी, ब्राह्मी विद्यादेवी, वसुधायै नमः । त्रिकालज्ञा, त्रिगुणा, कान्ता, पद्मलोचना, सुरसायै नमः ॥चामुण्डा, वाराही, वन्दा, शास्त्र-रूपणी, वाग्देवी । त्रिगुणा, त्रयमूर्ति, सौदामिनी, सौम्या, तीव्रा,

भरी झोली सदा मेरी
भरी झोली सदा मेरी, मिला सौगात से ज़्यादासुनहरे दिन से ज़्यादा और सुहानी रात से ज़्यादामेरे ईश्वर तेरा आभार बारम्बार करती हूँ,मुझे हरदम दिया तूने,