My Poems
आया पहला पहला फागुन ।
आया पहला पहला फागुन । उस पर यह बासन्ती यौवन || चूड़ी खनक रही है खन खन । पायल बोल रही है छन-छन । कोयलिया
मेरी सारी सखियाँ अपने पी संग खेलें होरी रे ।
मेरी सारी सखियाँ अपने पी संग खेलें होरी रे । तू भी रंग दे मेरी चुनरिया रह न जाये कोरी रे || फूल रही है
रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ
रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ। नैनों से रात-दिन मेरे बरसी है बदलियाँ || सबके घरों में जा जा उतरी है बदलियाँ |
उनके निश्छल प्रेम के बदले खूब किया उपकार ।
उनके निश्छल प्रेम के बदले खूब किया उपकार । घर की देहरी छोड़ बसाया एक नया परिवार || अपने घर में रहे तिरस्कृत ईश्वर के
दो दिन हुए हैं तूने कहानी ना सुनाई ।
दो दिन हुए हैं तूने कहानी ना सुनाई । हर बार की तरह न तूने खीर बनाई || आने दो पापा से मैं सारी बात
चारों तरफ उजाला पर अँधेरी रात थी ।
चारों तरफ उजाला पर अँधेरी रात थी । जब वो हुआ शहीद वो उन दिनों की बात थी । आँगन में बैठा बेटा माँ से
इसकी बातें उसकी बातें सब कुछ है बेकार |
इसकी बातें उसकी बातें सब कुछ है बेकार | आओ झूमें नाचें गायें, जीवन के दिन चार || मन के जीते, जीत हमारी, मन के
रुनझुन रुनझुन बाजे पायल ।
रुनझुन रुनझुन बाजे पायल । खन-खन-खन-खनके कंगन || झुमका गाये गीत मिलन के । आया मतवाला सावन ॥ जबसे मैंने साजन तुमसे प्रीत लगायी है।
चाहे जो भी कहलो इनसे, कर ना पाये झगड़ा ।
चाहे जो भी कहलो इनसे, कर ना पाये झगड़ा । इसके लिये जरूरी है हो अपना मायका तगड़ा || साले और ससुर का वो डर
पति नाम की इस बीमारी का उपचार जरूरी हैं।
पति नाम की इस बीमारी का उपचार जरूरी हैं। चौबीस घण्टे में पतियों पर एक फटकार जरूरी है ॥ समय-समय पर हड़काते रहना भी यार
माँगूँ तुमसे ये भगवान, दे दो एक पति धनवान |
माँगूँ तुमसे ये भगवान, दे दो एक पति धनवान | सोने जैसा तन हो जिसका, मन हीरे की खान || शूरवीर सलमान खान सा हो
आँखों के रास्ते मेरे दिल में समा गया ।
आँखों के रास्ते मेरे दिल में समा गया । न जाने कैसा जादू वो मुझको दिखा गया || आँगन में दिल के वो नयी कलियाँ
अनमोल हो गई है बिना दाम की मेहँदी ।
अनमोल हो गई है बिना दाम की मेहँदी । जबसे लगाई मैंने तेरे नाम की मेहँदी ॥ मौसम से जूझ जूझ के मेहँदी हरी हुई
पायल की छन-छन से छनके, खनके बन कंगन ।
पायल की छन-छन से छनके, खनके बन कंगन । ओस की बूँदे हैं हम लडकी, मन है इक दर्पण || हम से है घर-बार तुम्हारा,
जिसके नेह का बन्धन टूटे वह मन हिम्मत हार चले ।
जिसके नेह का बन्धन टूटे वह मन हिम्मत हार चले । कश्ती साहिल छू लेती है, साथ अगर पतवार चले || हो पतवार सरीखा जीवन
प्यार में थोडी-सी खट्ठी-मीठी तकरार जरूरी है । आँखो के इस कारोबार में दिल की हार जरूरी है ॥
प्यार में थोडी-सी खट्ठी-मीठी तकरार जरूरी है । आँखो के इस कारोबार में दिल की हार जरूरी है ॥ लोग जिसे कहते हैं बुरा, वो
पतझर में ज्यों बसन्त की बयार कर गए तुम छू के क्या गये मुझे बहार कर गए.
पतझर में ज्यों बसन्त की बयार कर गए तुम छू के क्या गये मुझे बहार कर गए. मरुथल की गर्म रेत को चन्दन बना दिया
बन्द पिंजरे के कैद परिन्दे,
बन्द पिंजरे के कैद परिन्दे, इक बार उड़ा कर तो देखो। गम छूमन्तर हो जाएँगे, मुस्कुरा कर तो देखो।। मत सोचो के कदम-कदम पर मुश्किल
जब धड़कन मद्धम – मद्धम हो,
जब धड़कन मद्धम – मद्धम हो,गुम सपने हों, आँखें नम हो ।दर्पण चेहरा न पहचानेऔर समय नहीं कहना माने || खालीपन महसूस करूँ जब अपनो
मैं तेरे नाम हो जाऊँ तू मेरे नाम हो जाए
मैं तेरे नाम हो जाऊँ तू मेरे नाम हो जाएमैं तेरा दाम हो जाऊँ तू मेरा दाम हो जाएन राधा सा न मीरा सा विरह
परम सत्ता से संचालित ये शासन मिट नही सकता
परम सत्ता से संचालित ये शासन मिट नही सकता,,अमरता दे मनुजता को को दर्शन मिट नही सकतान जाने मिट गए कितने मिटाने की लिए ख्वाहिशअमर
दिया गांधी ने जीवन भर जो,वो सन्देश पहले है।
दिया गांधी ने जीवन भर जो,वो सन्देश पहले है।यहाँ चैनों अमन वाला मधुर परिवेश पहले है।चलो सन्देश देते हैं ये मिलकर आज दुनियाँ कोहमारे स्वार्थ
अधर से आह जो फूटी उसे हम ओम कर देंगे।
अधर से आह जो फूटी उसे हम ओम कर देंगे।जमी के एक ज़र्रे को समूचा व्योम कर देंगे।।चढा कर अर्घ्य प्राणों का करेंगे अर्चना तेरीहवन
वार पीठ पर जो करता था वो हर ख़ंजर बदला है
वार पीठ पर जो करता था वो हर ख़ंजर बदला हैवक़्त का तेवर देख के यारों अपना तेवर बदला हैउम्मीदें भर ली मन में,कमज़ोरी को
एक छिड़कता जान तो दूजा दिल से उसे निभाता है
एक छिड़कता जान तो दूजा दिल से उसे निभाता हैसच्चाई से भी सच्चा ये भाई बहिन का नाता हैभोला भाला निश्छल अद्भुत बंधन है इस
राम खौं मिल गई राम की अटारीआई किसना की बारी
राम खौं मिल गई राम की अटारीआई किसना की बारी कर लो मथुरा की मिल कैं तैयारीअब कन्हैया की बारी गोविन्दा गोपाल कृष्ण मुरारीमुरली मनोहर
हम गंगा की धार बनेंगे तुम नाली हो जाओगे।
हम गंगा की धार बनेंगे तुम नाली हो जाओगे।हम गौरव से भरे मिलेंगे तुम खाली हो जाओगे।अपशब्दों से अपना परिचय देते रहना फिर इक दिन,हम
कहाँ है वक़्त जिसने शौर्य – साहस की कला दी थी
कहाँ है वक़्त जिसने शौर्य – साहस की कला दी थीशिला लंकेश के मद की निमिष भर में गला दी थीजहर कैसे घुला उस देश
सुख का मौसम उसी शख्स की सदा प्रतीक्षा करता है,
सुख का मौसम उसी शख्स की सदा प्रतीक्षा करता है,सफर की अपने जो भी इकदम सही समीक्षा करता है,चांद की चाहत लेकर जब हम अंबर
नही हम स्वार्थ पर फिसले ज़रा से खुरदुरे है हम।
नही हम स्वार्थ पर फिसले ज़रा से खुरदुरे है हम।वतन पर जां लुटा दें जो वही तो बाँकुरे हैं हम।जो देखेंगे वो लिक्खेंगे, न सच