जिसके नेह का बन्धन टूटे वह मन हिम्मत हार चले । कश्ती साहिल छू लेती है, साथ अगर पतवार चले || हो पतवार सरीखा जीवन में परिवार जरूरी है । आँखो के इस कारोबार में दिल की हार जरूरी है ।।
जाने कब सन्देह के बादल उनकी नींव हिला दें अब । शक के दीमक चाट गये जिन रिश्तों की बुनियादें अब || प्रेम-भवन में विश्वासों का दृढ़ आधार जरूरी है । आँखो के इस कारोबार में दिल की हार जरूरी है ॥
प्रेम के शीशों से नफरत पत्थर टूट ही जाते हैं । कलम की ताकत के आगे तो खंजर टूट ही जाते हैं । बनी रहे इसकी ताकत अब, हाँ अखबार जरूरी है। आँखो के इस कारोबार में दिल की हार जरूरी है ॥