anamikajainamber

आया पहला पहला फागुन ।

आया पहला पहला फागुन । उस पर यह बासन्ती यौवन || चूड़ी खनक रही है खन खन । पायल बोल रही है छन-छन । कोयलिया भी कुहुक रही है मतवारी । ऐसे में साजन तुमने मारी पिचकारी || भीगी अँगिया महक रही ज्यों फुलवारी । ऐसे में साजन तुमने मारी पिचकारी ॥ सरसों फूल रही …

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मेरी सारी सखियाँ अपने पी संग खेलें होरी रे ।

मेरी सारी सखियाँ अपने पी संग खेलें होरी रे । तू भी रंग दे मेरी चुनरिया रह न जाये कोरी रे || फूल रही है सरसों साजन, अमराई बौराई हो । पागल भँवरा शर्मीली कलियों संग करे ढिठाई हो । कुदरत के सब रंग करे आपस में जोरा जोरी रे । तू भी रंग दे …

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रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ

रूठे जो मुझसे तुम तो रूठी हैं, बदलियाँ। नैनों से रात-दिन मेरे बरसी है बदलियाँ || सबके घरों में जा जा उतरी है बदलियाँ | आँगन से मेरे क्यों नहीं गुजरी हैं बदलियाँ || सुबह के जूड़े में फूल टाँक जाओ तुम । संध्या के कंगनों पे किरणें बाँट जाओ तुम || होठों से होंठों …

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उनके निश्छल प्रेम के बदले खूब किया उपकार ।

उनके निश्छल प्रेम के बदले खूब किया उपकार । घर की देहरी छोड़ बसाया एक नया परिवार || अपने घर में रहे तिरस्कृत ईश्वर के अवतार । घर की देहरी छोड़ बसाया एक नया परिवार || बचपन के दिन याद करो जब पापा बने खिलौना । माँ होती थी लोरी थपकी, सूखा नरम बिछौना || …

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दो दिन हुए हैं तूने कहानी ना सुनाई ।

दो दिन हुए हैं तूने कहानी ना सुनाई । हर बार की तरह न तूने खीर बनाई || आने दो पापा से मैं सारी बात कहूँगा | तुम से न बोलूँगा न तुम्हारी मैं सुनूँगा || ऐसा क्या हुआ कि बताने से है इन्कार | दीपावली पे क्यों ना आये पापा अबकी बार || पूछ …

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चारों तरफ उजाला पर अँधेरी रात थी ।

चारों तरफ उजाला पर अँधेरी रात थी । जब वो हुआ शहीद वो उन दिनों की बात थी । आँगन में बैठा बेटा माँ से पूछे बार-बार । दीपावली पे क्यों ना आये पापा अबकी बार || माँ क्यों ना तूने आज भी बिंदिया लगायी है। हैं दोनों हाथ खाली ना मेहँदी रचायी है | …

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इसकी बातें उसकी बातें सब कुछ है बेकार |

इसकी बातें उसकी बातें सब कुछ है बेकार | आओ झूमें नाचें गायें, जीवन के दिन चार || मन के जीते, जीत हमारी, मन के हारे हार । आओ झूमें नाचें गायें, जीवन के दिन चार || छोटी-छोटी बातों से न मन को भारी करना । हार गये तो जीतने की फिर से तैयारी करना …

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रुनझुन रुनझुन बाजे पायल ।

रुनझुन रुनझुन बाजे पायल । खन-खन-खन-खनके कंगन || झुमका गाये गीत मिलन के । आया मतवाला सावन ॥ जबसे मैंने साजन तुमसे प्रीत लगायी है। आँखे तो मेरी अपनी हैं नींद परायी है ।। ओढ़ लिये सपनों ने मेरे इन्द्रधनुष के रंग । और बहारें पग-पग चलती, हरदम मेरे संग || खुली कोंपलों-सा निखरा तन …

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चाहे जो भी कहलो इनसे, कर ना पाये झगड़ा ।

चाहे जो भी कहलो इनसे, कर ना पाये झगड़ा । इसके लिये जरूरी है हो अपना मायका तगड़ा || साले और ससुर का वो डर वाला प्यार जरूरी है। चौबीस घण्टे में पतियों पर एक फटकार जरूरी है ॥ उठो पत्नियों अब पतियों को राह पे लाना होगा । पत्नी शरणम् गच्छामि का मंत्र सिखाना …

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पति नाम की इस बीमारी का उपचार जरूरी हैं।

पति नाम की इस बीमारी का उपचार जरूरी हैं। चौबीस घण्टे में पतियों पर एक फटकार जरूरी है ॥ समय-समय पर हड़काते रहना भी यार जरूरी है। चौबीस घण्टे में पतियों पर एक फटकार ज़रूरी है । घर में बैठी चन्द्रमुखी की नही प्रशंसा करते । और कोई कलमुँही यदि हँस दे ठण्डी आहें भरते …

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