अनमोल हो गई है बिना दाम की मेहँदी ।

अनमोल हो गई है बिना दाम की मेहँदी । जबसे लगाई मैंने तेरे नाम की मेहँदी ॥

मौसम से जूझ जूझ के मेहँदी हरी हुई । नन्ही-सी बिटिया जैसे सुहानी परी हुई || डाली से टूटी हाथों पे आकर बिखर गई । बाबुल को छोड़ डोली में साजन के घर गई || राधा की हथेली पे है ये श्याम की मेहँदी । जबसे लगाई मैंने तेरे नाम की मेहँदी ॥

चन्दा की चाँदनी कभी सूरज की धूप में । तुलसी ये कभी और कभी आँगन के रूप में ॥ ऐसा लगा कि सारा खजाना है हाथ में । जब-जब भी वक्त गुजरा है साजन के साथ में || सीता को रास आयी सदा राम की मेहँदी । जबसे लगाई मैंने तेरे नाम की मेहँदी ||

सिन्दूरी रंग लिये संगनी है सहेली न्यारी, अलबेली है दुल्हन नवेली मेहँदी का रंग खिले प्यार अगर खास हो । सजती हथेलियाँ और साजन भी पास हो ॥ कुमकुम और महावर के धाम की मेहँदी । जबसे लगाई मैंने तेरे नाम की मेहँदी ॥

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