पायल की छन-छन से छनके, खनके बन कंगन । ओस की बूँदे हैं हम लडकी, मन है इक दर्पण || हम से है घर-बार तुम्हारा, हम से है आँगन । ओस की बूँदे हैं हम लडकी, मन है इक दर्पण ||
रिश्ते हैं वो फ्रेम कि जिसमें हम तस्वीर सजाते । हाथों की खाली रेखाओं पर किस्मत बन जाते || हम से महकता है बचपन, और सजता है यौवन । ओस की बूँदे हैं हम लडकी, मन है इक दर्पण ||
कभी गीत हैं, कभी गज़ल हैं, ओज कभी अँगार । हम लक्ष्मी हैं, हम दुर्गा हैं, हम वाणी अवतार || चाँद-सितारे छू आए हम, तोड़ के हर बन्धन | ओस की बूँदे हैं हम लडकी, मन है इक दर्पण ||
हम ही हैं वो माँ जिसने इस दुनिया को है बनाया | पत्नी – भाभी – बहना- बेटी, के रिश्तों से सजाया । मत रौंदो हम कलियों को, मिट जायेगा उपवन । ओस की बूँदे हैं हम लडकी, मन है इक दर्पण ||