बन्द पिंजरे के कैद परिन्दे, इक बार उड़ा कर तो देखो। गम छूमन्तर हो जाएँगे, मुस्कुरा कर तो देखो।।
मत सोचो के कदम-कदम पर मुश्किल आएगी। गिर के उठो, उठकर सम्भलों, मंजिल मिल जाएगी। रस्ते अपने आप बनेंगे, कदम बढ़ाकर तो देखो।
गम छू-मन्तर हो जाएँगे, मुस्कुरा कर तो देखो ||
मत देखो पीछे खुद को आगे बढ़ जाने दो । पंछी बनकर उड़ता है तो मन उड जाने दो ॥ दूर अँधेरा हो जाएगा, दीप जलाकर तो देखो। गम छू-मन्तर हो जाएँगे, मुस्कुरा कर तो देखो ॥