कहाँ है वक़्त जिसने शौर्य – साहस की कला दी थी
शिला लंकेश के मद की निमिष भर में गला दी थी
जहर कैसे घुला उस देश के आचार में,जिसने
कभी नारी के स्वाभिमान पर लंका जला दी थी
कहाँ है वक़्त जिसने शौर्य – साहस की कला दी थी
शिला लंकेश के मद की निमिष भर में गला दी थी
जहर कैसे घुला उस देश के आचार में,जिसने
कभी नारी के स्वाभिमान पर लंका जला दी थी