तिरंगा 2
बनके लावा जो बहता रगों में, स्वाभिमान हमारा तिरंगा
आन है मान है शान है ये,स्वाभिमान हमारा तिरंगा
मात्र एक पताका नही ये,है गगन का सितारा तिरंगा
है मुहर एकता की तिरंगा, एक संकल्प है धीरता का
मातु की वन्दना है तिरंगा ,
सार गीता का कुरआन का है, गूंजता मंत्र है वीरता का
शिव शिखाओं से बह के जो निकली उस नदी की है धारा तिरंगा
मात्र एक पताका नही ये, है गगन का सितारा तिरंगा
माँ के आँचल के जैसा तिरंगा, पायी ममता सभी अंकुरों ने
उनके सीने से जाकर है लिपटा, जान देदी है जिन बाकुरों ने
बन के हिम्मत खड़ा था वही जब सैनिकों ने पुकारा तिरंगा
‘के, सरिया, हरा श्वेत चक्रम फहरेगा युगों न रुकेगा
जान से भी है बढ़कर हमें जो है कसम न तिरंगा झुकेगा
पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण,हर दिशा का दुलारा तिरंगा