कहाँ कहाँ तक जाती अम्बर आंखों की जद याद रहे।
ख्वाब भले दुनियाँ के घूमे पर हमको हद याद रहे।
सीढ़ी चढ़कर आसमान तक जाना बेहद मुश्किल है।
तलब चाँद की रखने वालों को अपना कद याद रहे ।।।
कहाँ कहाँ तक जाती अम्बर आंखों की जद याद रहे।
ख्वाब भले दुनियाँ के घूमे पर हमको हद याद रहे।
सीढ़ी चढ़कर आसमान तक जाना बेहद मुश्किल है।
तलब चाँद की रखने वालों को अपना कद याद रहे ।।।