मेरी सारी सखियाँ अपने पी संग खेलें होरी रे ।

मेरी सारी सखियाँ अपने पी संग खेलें होरी रे । तू भी रंग दे मेरी चुनरिया रह न जाये कोरी रे ||

फूल रही है सरसों साजन, अमराई बौराई हो । पागल भँवरा शर्मीली कलियों संग करे ढिठाई हो । कुदरत के सब रंग करे आपस में जोरा जोरी रे । तू भी रंग दे मेरी चुनरिया रह न जाये कोरी रे ||

उघरे अंग सरक गयी चूनर लाज सरम बिसराई हो । एसो डारो रंग पिया ने भूली सब चतुराई हो || आय गयी थी वृन्दावन में बरसाने की छोरी रे । तू भी रंग दे मेरी चुनरिया रह न जाये कोरी रे ||

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *