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परम सत्ता से संचालित ये शासन मिट नही सकता

परम सत्ता से संचालित ये शासन मिट नही सकता,,अमरता दे मनुजता को को दर्शन मिट नही सकतान जाने मिट गए कितने मिटाने की लिए ख्वाहिशअमर है जो युगों से वो सनातन मिट नही सकता

दिया गांधी ने जीवन भर जो,वो सन्देश पहले है।

दिया गांधी ने जीवन भर जो,वो सन्देश पहले है।यहाँ चैनों अमन वाला मधुर परिवेश पहले है।चलो सन्देश देते हैं ये मिलकर आज दुनियाँ कोहमारे स्वार्थ पीछे हैं हमारा देश पहले हैं

अधर से आह जो फूटी उसे हम ओम कर देंगे।

अधर से आह जो फूटी उसे हम ओम कर देंगे।जमी के एक ज़र्रे को समूचा व्योम कर देंगे।।चढा कर अर्घ्य प्राणों का करेंगे अर्चना तेरीहवन में राष्ट्रभक्ति के ये सांसें होम कर देंगे।।

वार पीठ पर जो करता था वो हर ख़ंजर बदला है

वार पीठ पर जो करता था वो हर ख़ंजर बदला हैवक़्त का तेवर देख के यारों अपना तेवर बदला हैउम्मीदें भर ली मन में,कमज़ोरी को ताक़त दीअश्क़ आँख के पोंछे हमने और मुक़द्दर बदला है

एक छिड़कता जान तो दूजा दिल से उसे निभाता है

एक छिड़कता जान तो दूजा दिल से उसे निभाता हैसच्चाई से भी सच्चा ये भाई बहिन का नाता हैभोला भाला निश्छल अद्भुत बंधन है इस बंधन मेंकच्चे धागे से पक्के रिश्ते को बांधा जाता है ये प्रेम अनूठा है सच्चा सच्चाई सेभाई का बहना से बहना का भाई सेगहरा गहराई से, ऊँचा ऊँचाई सेभाई का …

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राम खौं मिल गई राम की अटारीआई किसना की बारी

राम खौं मिल गई राम की अटारीआई किसना की बारी कर लो मथुरा की मिल कैं तैयारीअब कन्हैया की बारी गोविन्दा गोपाल कृष्ण मुरारीमुरली मनोहर बाँके बिहारी देवकी नंदन विष्णु अवतारी जमुना के तीरा सजे ब्रज धामाभोर बसे श्याम संध्या में श्यामा प्रेम भक्ति पे जग बलिहारी अद्भुत अनुपम लीला किशन कीकण कण कहानी कहे …

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हम गंगा की धार बनेंगे तुम नाली हो जाओगे।

हम गंगा की धार बनेंगे तुम नाली हो जाओगे।हम गौरव से भरे मिलेंगे तुम खाली हो जाओगे।अपशब्दों से अपना परिचय देते रहना फिर इक दिन,हम गरिमा के गीत बनेंगे तुम गाली हो जाओगे।

कहाँ है वक़्त जिसने शौर्य – साहस की कला दी थी

कहाँ है वक़्त जिसने शौर्य – साहस की कला दी थीशिला लंकेश के मद की निमिष भर में गला दी थीजहर कैसे घुला उस देश के आचार में,जिसनेकभी नारी के स्वाभिमान पर लंका जला दी थी

सुख का मौसम उसी शख्स की सदा प्रतीक्षा करता है,

सुख का मौसम उसी शख्स की सदा प्रतीक्षा करता है,सफर की अपने जो भी इकदम सही समीक्षा करता है,चांद की चाहत लेकर जब हम अंबर का पथ चुनते हैं ,कदम कदम पर समय हमारी कड़ी परीक्षा करता है।। सब अपने अपने रंग में फ्लेवर में आ गएतो हम भी अपने आप के तेवर में आ …

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नही हम स्वार्थ पर फिसले ज़रा से खुरदुरे है हम।

नही हम स्वार्थ पर फिसले ज़रा से खुरदुरे है हम।वतन पर जां लुटा दें जो वही तो बाँकुरे हैं हम।जो देखेंगे वो लिक्खेंगे, न सच कहने से चूकेंगे,बुरा गर मानते हो तुम तो समझो फिर बुरे हैं हम।